क्या कैब को लाकर बीजेपी ने अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है? | Has the BJP brought an ax to its feet by bringing the CAB?
कुछ समय तक हिंदुस्तान की पब्लिक को ऐसा लग रहा था कि कैब को लाकर बीजेपी ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली है
क्योंकि जो लोग आपको कैब का विरोध करते नजर आ रहे हैं साथ में एनआरसी का भी विरोध कर रहे हैं. यह सीधे-सीधे एक तरह से हिंदू अल्पसंख्यकों का विरोध कर रहे हैं और दूसरे अल्पसंख्यकों का विरोध कर रहे हैं. यह बात हिंदू समाज को क्यों अच्छी लगेगी क्योंकि वह तो ऑथराइज रूप से दूसरे देशों से, खासकर इन तीनों देशों से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आ ही सकते हैं. उनका हक भी है तो एक 1 एक विशेष समुदाय के लोग इस हक को मारने की चेष्टा कर रहे हैं ऐसे लोगों को लगेगा.
तो स्पष्ट है कि कैब को लाकर बीजेपी ने एक तरह से चौका ही मारा है, और इस विरोध ने इसे एक ही शॉट में सेंचुरी मारने जैसा लाभ दिया है,बीजेपी ने अपना बहुत बड़ा वोट बैंक पक्का कर लिया है.
वैसे तो यह वोट बैंक पक्का नहीं होता लेकिन जब एक समुदाय विशेष ने कैब के खिलाफ अपना आक्रोश दिखाया और दंगा फसाद तोड़फोड़ की तो यह बीजेपी के लिए बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट सिद्ध हुआ है.
इससे स्वयं ही अपने आप जो भी लोग कैब के पक्ष में हैं जो कि देश के अंदर 70% जनसंख्या रखते हैं वह बिना ही कुछ करें करें बीजेपी की पक्ष में खड़े नजर आने लगे. स्वयं ही उनका मन बीजेपी की तरफ होने लगा. तो यह कहना तो बिल्कुल गलत है कि कैब लाकर बीजेपी ने अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारी है. बल्कि विदेश अल्पसंख्यकों के लिए कार्य करके बीजेपी ने देश की 70% जनसंख्या के मन में अपने लिए जगह पक्की कर ली बाकी इन दंगों ने कील ठोक दी वह जगह खाली ना हो.
हां यह जरूर कहा जा सकता है कि मुलायम सिंह की पार्टी अर्थात अखिलेश सिंह की पार्टी अर्थात सपा ने और कांग्रेस ने अपने ताबूत में कील ठोक ली . आने वाले समय में इसका इनाम इन्हें जरूर मिलेगा