Love Poem By Gulzar In Hindi | नज़्म उलझी हुई है सीने में | Hindi Love Poems By Gulzar | Gulzar On Love In Hindi
एक लेखक जिसकी कलम शब्दों के साथ ऐसे ख़ेलती है कि दर्शक और पाठक दोनों का दिल ललचा जाता है। जो लोग हिंदी पुस्तकों में उर्दू बाइंडिंग प्रदान करते हैं, वे गुलज़ार हैं।
मिसरे अटके हुए हैं होठों पर
उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं
कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी
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उड़ते-फिरते हैं तितलियों की तरह
लफ़्ज़ काग़ज़ पे बैठते ही नहीं
कब से बैठा हुआ हूँ मैं जानम
सादे काग़ज़ पे लिखके नाम तेरा
बस तेरा नाम ही मुकम्मल है
इससे बेहतर भी नज़्म क्या होगी
Misare Atake Hue Hain Hothon Par
Udate-phirate Hain Titaliyon Kee Tarah
Lafz Kaagaz Pe Baithate Hee Nahin
Kab Se Baitha Hua Hoon Main Jaanam
Saade Kaagaz Pe Likhake Naam Tera
Bas Tera Naam Hee Mukammal Hai
Isase Behatar Bhee Nazm Kya Hogee
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