इंसानियत पर सुविचार
इंसानियत पर शायरी
ज़मीर ज़िन्दा रख
कबीर ज़िन्दा रख
सुल्तान भी बन जाए तो
दिल में फ़क़ीर ज़िन्दा रख
हौसले के तरकश मे
कोशिश का वो तीर ज़िन्दा रख
हार जा चाहे ज़िन्दगी मे सब कुछ
मगर फिर से जीतने की वो उम्मीद ज़िन्दा रख
मिटता हो ज़रूरी तो आज मिट जा ऐ इंसान
मगर मिटने के बाद भी इंसानियत ज़िन्दा रख
कबीर ज़िन्दा रख
सुल्तान भी बन जाए तो
दिल में फ़क़ीर ज़िन्दा रख
हौसले के तरकश मे
कोशिश का वो तीर ज़िन्दा रख
हार जा चाहे ज़िन्दगी मे सब कुछ
मगर फिर से जीतने की वो उम्मीद ज़िन्दा रख
मिटता हो ज़रूरी तो आज मिट जा ऐ इंसान
मगर मिटने के बाद भी इंसानियत ज़िन्दा रख
इंसानियत पर शेर
Zameer Zinda Rakh
Kabir Zinda Rakh
Sultan Bhi Ban Jaye to
Dil Mein Faqeer Zinda Rakh
Hausale Ke Tarakash Me
Koshish Ka Vo Teer Zinda Rakh
Haar Ja Chaahe Zindagee Me Sab Kuchh
Magar Phir Se Jeetne Ki Vo Ummeed Zinda Rakh
Mitata Ho Zaroori to Aaj Mit Ja Ai Insaan
Magar Mitane Ke Baad Bhi Insaniyat Zinda Rakh
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Kabir Zinda Rakh
Sultan Bhi Ban Jaye to
Dil Mein Faqeer Zinda Rakh
Hausale Ke Tarakash Me
Koshish Ka Vo Teer Zinda Rakh
Haar Ja Chaahe Zindagee Me Sab Kuchh
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- इंसानियत पर शायरी
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