किसी को जलाने की एटीट्यूड शायरी
बदलने की थानी थी दुनिया को, मगर लोगों ने जलाने की सोच रखी है।
मेरे आगे जलते हैं सब दिये, बस इतना जान लो, मैं आग हूँ जलती हुई।
जल जाते हैं लोग जब देखते हैं मुझे, मेरी रौशनी से जलने की आदत रखते हैं।
तेरी जल रही है सबकी नजरों में, मैं आग का चमन हूँ, जलाने की आदत रखती हूँ।
जलाते हैं मुझे लोग जलने के लिए, पर मैं आग हूँ, जलाने के लिए आई हूँ।
मेरी जलने की आदत उनको जलाती है, मैं चिंगारी हूँ, जो हर दिल को सहलाती है।
तेरे जलने से मेरी रौशनी नहीं बुझेगी, मैं आग हूँ, जो तेरी हर ताकत को तुझसे छीन लेगी।
जलाने की कोशिश तो करो लोगों, पर याद रखो, मैं बचने के लिए आई हूँ।
तेरी जलने से नहीं मुझे डर लगता, मैं आग हूँ, जलाने का हौसला रखता हूँ।
जलाने की चाह में जलते हैं सब, मगर याद रखो, मैं बस जलाने के लिए ही आई हूँ।