बलात्कार पर शायरी
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है.
लुटेरा है अगर आज़ाद, तो अपमान सबका है
बनो इंसान पहले छोड़कर तुम, बात मज़हब की
लड़ो मिलकर दरिंदो से, ये हिन्दोस्तान हम सबका हैं
मर्दानगी मुझे कहीं अब सच्ची नही दिखती,
वो फूल की कली उन्हें कच्ची नही दिखती,
दरिंदो को बेटियां किसी की बच्ची नही दिखती,
कफ़न में लिपटी कोई परी अच्छी नही दिखती।
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