ब्राम्हण वर्ग का अधिकांश व्यक्ति भाजपा की नीतियों के समर्थन में क्यों रहता है ?
ये स्थिति एक दिन में नहीं बनी. मैं 66 साल का हूँ. अपनी किशोरावस्था में ज़िला गौतम बुद्ध नगर(Noida) के हमारे कस्बे में ब्राह्मण हमें गद्दार बोलते थे क्योंकि हमारा परिवार जनसंघी था. उस समय यह एक स्थापित मान्यता थी कि ब्राह्मण यानी काँग्रेसी. वो समय ऐसा था जब जनसंघ को बनियों की पार्टी कहा जाता था. उस समय कांग्रेस के बड़े नेता भी ब्राह्मण ही थे जैसे कमला पति त्रिपाठी, उमा शंकर दीक्षित, द्वारिका प्रसाद मिश्र, विद्या चरण शुक्ल, ललित नारायण मिश्र, जगन्नाथ मिश्र, श्यामा चरण शुक्ल, हेमवती नंदन बहुगुणा, शंकर दयाल शर्मा, भगवत दयाल शर्मा, नारायण दत्त तिवारी, हरिदेव जोशी, भगवत झा आज़ाद आदि. इसलिए ब्राह्मणों का स्वाभाविक रुझान कांग्रेस की ओर था. लेकिन धीरे-धीरे काँग्रेस में ब्राह्मण नेता किनारे होते चले गए. रामजन्मभूमि का आन्दोलन जब अपने चरम पर था तो ब्राहमणों का झुकाव बी.जे.पी.की ओर होता गया. कांग्रेस की अल्पसंख्यकों के प्रति ज़रुरत से ज्यादा झुकाव की नीति ने ब्राह्मणों को पूरी तरह कांग्रेस से विमुख कर दिया. 80 और 90 के दशक की नयी ब्राह्मण पीढ़ी पूरी तरह कांग्रेस से कटकर बी.जे.पी.की तरफ झुक गई. जो बुजुर्ग ब्राह्मण हैं वे भी कांग्रेस से बी.जे.पी. के पाले में आ गए.