कुम्हार के उस घड़े में भले बर्फ नहीं जमता,
पर पानी ठंडी रहती है।
पीपल के छांव तले AC का शोर नहीं पलता,
वहां तो मदमस्तत हवाएं प्रकृति के गीत गाती रहती है।
गाँवों में आज भी वाटर पार्क और स्विमिंग पूल नहीं मिलता,
वहां बचपन नदी-नहर-तालाबों में तैरती रहती है।
आज जब सुविधाओं से लैश है फिर भी बेचैन है हर शहर,
गाँव अपने कष्टों से लड़ता अपनों में मस्त रहता है।
पर पानी ठंडी रहती है।
पीपल के छांव तले AC का शोर नहीं पलता,
वहां तो मदमस्तत हवाएं प्रकृति के गीत गाती रहती है।
गाँवों में आज भी वाटर पार्क और स्विमिंग पूल नहीं मिलता,
वहां बचपन नदी-नहर-तालाबों में तैरती रहती है।
आज जब सुविधाओं से लैश है फिर भी बेचैन है हर शहर,
गाँव अपने कष्टों से लड़ता अपनों में मस्त रहता है।